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 03 Oct, 2023 | By : Rosemine

Agronomy Course Full Details In Hindi

All Information About Agronomy Course In This Blog Read Full Blog To Enhale The Knowldge :

अगर आपको पौधों को लगाना पसंद है? क्या आप हमेशा से इस्तेमाल किये जाने वाले खेती करने के तरीकों (ट्रेडिशनल एग्रीकल्चरल प्रेक्टिसेस ) के पीछे की साइंस के बारे में पढ़ने की इच्छा रखते हैं? तो आप एग्रोनॉमी (Agronomy) में करियर बना सकते है

 

agronomy course details in hindi

 

आज के इस पोस्ट में बताने जा रहा हु की एग्रोनॉमिस्ट क्या है एग्रोनॉमिस्ट क्या करते हैं और एग्रोनॉमिस्ट (Agronomist) कैसे बन सकते हैं एग्रीकल्चर साइंस से इस कोर्स का क्या लगाव है इन सभी सालो का जबाब इस पोस्ट में पढ़ने को मिल जायेगा. तो ध्यान से इस पोस्ट को पढ़े.

 

आज पूरी दुनियाभर की सरकारों के सामने देश की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है. आनेवाले समय में जनसंख्या वृद्धि के साथ खाद्यान्न की बढ़नेवाली मांग को पूरा करने के लिए कृषि में नये सिरे से सुधार की आवश्यकता है. एग्रोनॉमी (Agronomy) की शाखा इसमें मददगार बन सकती है |

 

क्या है एग्रोनॉमी | Whats is Agronomy

एग्रोनॉमी मीनिंग इन हिंदी – एग्रोनॉमी का सामान्य अर्थ है खेतों और कृषि का प्रबंधन. एग्रोनॉमी एग्रीकल्चर साइंस की एक शाखा है, जिसमें फसलों और मिट्टी का मुख्य तौर पर अध्ययन किया जाता है. धरती पर खेती के लिए जमीन सीमित है.

बढ़ती आबादी के लिए इसी सीमित जमीन से मिट्टी, भूजल या सतही जल और पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाये बगैर ज्यादा-से-ज्यादा उत्पादन संभव करना Agronomy का लक्ष्य है. एग्रोनॉमी के जरिये खेत प्रबंधन के माध्यम से अधिकतम खाद्यान्न उत्पादन के तरीके खोजने की कोशिश की जाती है.

 

Agronomist, मृदा और फसल वैज्ञानिक होते हैं जो खेती की जमीन की उर्वरता (प्रोडक्टिविटी) को बढ़ाने लिए काम करते हैं ताकि जमीन से खेती की अच्छी पैदावार हो सके। एग्रोनॉमी विज्ञान की वह ब्रांच है

 

जहाँ फसलों के साथ-साथ, जिस मिट्टी में वो फसलें उगाई जाती हैं, उसका भी अध्ध्य्यन किया जाता है, और साथ ही इस खेती के उत्पादन (एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन) पर मौसम के बदलाव का क्या प्रभाव पड़ता है एक एग्रोनॉमिस्ट का काम या देखना होता है की बीज और जमीन दोनों ही उपजाऊ हों, और अच्छी फसल दे सके

 

एग्रोनॉमी का क्षेत्र पौधों और पर्यावरण के संबंध की बेहतर समझ पैदा करता है, जिसके माध्यम से परंपरागत कृषि पद्धतियों में सुधार करके नयी पद्धतियों का विकास किया जाता है. एग्रोनॉमिस्ट मिट्टी की उर्वरता की फिर से बहाली, बीज, क्यारियों का निर्माण, बीज बोने का सही समय, संरक्षण का तरीके, मिट्टी की नमी का प्रबंधन और खर-पतवार एवं कीटाणुओं के नियंत्रण आदि को लेकर शोध करते हैं.

 

एग्रोनॉमिस्ट्स का काम | Agronomist Skills

एक एग्रोनॉमिस्ट्स को खेती की ज़रूरतों को अच्छी तरह से समझना जरुरी है मिट्टी, बीजों, पौधों, फसलों आदि का अध्ययन कर खेती के ज़्यादा अच्छे और असरदार तरीके ढूंढना प्रमुख काम है फार्मिंग (खेती) और फूड इंडस्ट्री के लिए प्रभावशाली इलाजों को ढूंढने का काम भी एक एग्रोनॉमिस्ट्स का होता है वही जो रिसर्च करते है वो पौधों या मिट्टी के पोषण से जुड़े मुद्दों ,और कीड़े या जंगली जानवरों के कारण , मौसम या जलवायु में अंतर के कारण , या कीटनाशकों, उर्वरकों आदि के इस्तेमाल से हो रहे नुकसान को पहचान कर उसका हल निकालते है

Agronomy में प्लांट जेनेटिक्स, प्लांट फिजियोलॉजी, मौसम विज्ञान और मृदा विज्ञान के क्षेत्रों में काम शामिल है। यह जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र, पारिस्थितिकी, पृथ्वी विज्ञान और आनुवंशिकी जैसे विज्ञानों के संयोजन का अनुप्रयोग है।

एग्रोनॉमी में भविष्य | Agronomy Scope in Future

भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फ्रूट प्रोड्यूसर है। अनुमान के मुताबिक 2035 तक भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जायेगा और 2050 तक भारत की आबादी 1.7 से 1.8 अरब हो जायेगी. बढ़ती जनसंख्या और लोगों की आय में वृद्धि के सम्मिलित प्रभाव से खाद्य पदार्थों की मांग तेजी से बढ़ रही है. खासकर लाइव स्टॉक और हॉर्टिकल्चर उत्पादों की मांग. एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक दुनिया में खाद्यान्न की मांग दोगुने स्तर तक बढ़ जायेगी.

इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक भारत खाद्यान्न की अपनी मांग का सिर्फ 59 फीसदी ही पूरा कर सकेगा. इन स्थितियों को देखते हुए भारत में खाद्यान्न और अन्य खाद्य पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि बेहद जरूरी है. यह तय है कि कृषि के वर्तमान तौर-तरीकों में बदलाव किये बगैर बढ़ती मांग को पूरा करना असंभव होगा. ऐसे में खाद्यान्न उत्पादन में स्मार्ट तरीके से वृद्धि करना ही एकमात्र उपाय है. जिसके लिए एग्रोनॉमी (Agronomy) सबसे बेहतर विकल्प है

 

एग्रोनॉमी कोर्स | Agronomy Courses in India

साइंस विषयों – फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथेमेटिक्स या बायोलॉजी या एग्रीकल्चर से 12वीं पास छात्र बीएससी एग्रोनॉमी में प्रवेश ले सकते हैं. एग्रोनॉमी में एमएससी करने के लिए बीएससी एग्रीकल्चर साइंस या बीएससी एग्रोनॉमी होना चाहिए.

मास्टर्स इन एग्रोनॉमी का पाठ्यक्रम उन छात्रों के लिए है, जिनकी रुचि पौधों और मिट्टी में है. एमएससी एग्रोनॉमी के बाद एग्रोनॉमी से पीएचडी भी कर सकते हैं. देश के कृषि विश्वविद्यालयों में बीएससी एग्रोनॉमी और एमएससी एग्रोनॉमी की पढ़ाई करायी जाती है. अधिकतर संस्थानों में आमतौर पर फरवरी महीने में इन कोर्सेज में दाखिले संबंधी नोटिफिकेशन जारी किये जाते हैं.

 

एग्रोनॉमी कोर्स प्रमुख संस्थान | Agronomy institute

  • डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रील्चर यूनिवर्सिटी, पूसा.
  • बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, सबौर.
  • महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, पुणे. •
  • पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना.
  • तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कोयंबटूर.
  • आचार्य एनजी रंगा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हैदराबाद.

 

एडमिशन प्रकिर्या | Admission Process for Agronomy Course

बीएससी एग्रोनॉमी में प्रवेश बीएससी एग्रीकल्चर साइंस में दाखिले के लिए आयोजित होनेवाली प्रवेश परीक्षाओं के जरिये मिलता है. हर साल आइसीएआर अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डॉक्टोरल प्रोग्राम के लिए एंट्रेंस एग्जाम कंडक्टर कराता है. राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों में एग्रीकल्चर साइंस में दाखिले के लिए भी प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है. बिहार की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में बीसीइसीइ के माध्यम से प्रवेश मिलता है.

 

प्रवेश परीक्षा एग्रोनॉमी कोर्स में एडमिशन के लिए:

देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए ) हर साल ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जामिनेशन फॉर एडमिशन (एआइइइए) का आयोजन करती है. इसके जरिये एग्रोनॉमी समेत एग्रीकल्चर साइंस के विभिन्न अंडर ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश मिलता है.

आइसीएआर एआइइइए-यूजी परीक्षा के जरिये बैचलर पाठ्यक्रमों में दाखिला मिलता है. परीक्षा के लिए उम्मीदवारों को अपने पेपर ग्रुप का चयन करना होता है. परीक्षार्थी, फिजिक्स-केमिस्ट्री-मैथमेटिक्स या फिजिक्सकेमिस्ट्री-बायोलॉजी, फिजिक्स-केमिस्ट्रीएग्रीकल्चर या एग्रीकल्चर-बायोलॉजी-केमिस्ट्री में से किसी एक पेपर कॉम्बिनेशन के साथ परीक्षा दे सकते हैं. परीक्षा में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं.

 

एग्रोनॉमी से जुड़े कुछ प्रमुख करियर विकल्प इस प्रकार हैं

कृषि विज्ञान (एग्रीकल्चरल साइंस) या मिलते-जुलते क्षेत्र में पढ़ाई पूरी करने के बाद, आप लेबोरेटरी में रिसर्च और डेवलपमेंटल एक्टिविटीज़ में (लैब के प्रयोगों ) में शामिल हो सकते हैं या फिर (इंटरनेट पर) जानकारी ढूंढने के साथ-साथ आप फ़ील्ड वर्क या ऑफ़िस वर्क भी कर सकते हैं या फिर काम के प्रोजेक्ट के लिए आप किसानों और खेत में काम करने वाले लोगों से बातचीत करके (उनके खुद के अनुभव और मिट्टी व फ़सलों के सैंपल्स के आधार पर) सही-सही जानकारी (रियल-टाइम डेटा) इकठ्ठा कर सकते हैं|

क्रॉप्स स्पैशलिस्ट:

क्रॉप्स स्पैशलिस्ट्स फ़सलों की किस्मों पर ( भोजन, सब्जियों, पशु-चारा, टर्फ- चावल, गेहूँ और फाइबर फ़सलों- जूट और कॉटन), और उनके इस्तेमाल, दूसरी तरह की फ़सलों पर फ़ायदे, उसमें शामिल कमर्शियल फैक्टर, ज़रूरी ग्रोथ फैक्टर, बीजों को उपलब्ध कराना, फसल की कटाई, और बहुत से दूसरे विषयों पर ध्यान देते हैं| इनके कामों में बहुत से क्षेत्र जैसे ब्रीडिंग, जेनेटिक्स, फसलों का प्रोडक्शन और मैनेजमेंट भी शामिल है|

प्लांट साइंटिस्ट :

एग्रीकल्चर साइंस के अलाइड सब्जेक्ट के तौर पर एग्रोनॉमी की पढ़ाई करनेवाले प्लांट साइंटिस्ट या सॉयल साइंटिस्ट बन सकते हैं और भारत के कृषि मंत्रालय के रिसर्च डिपार्टमेंट या इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट आइएआरआइ के साथ काम कर सकते हैं.

एग्रीकल्चरल लैंड यूज़ कंसल्टेंट / सॉयल साइंटिस्ट

सॉइल साइंटिस्ट्स अपने ज्ञान और अनुभव को काम में लेते हुए सॉइल कैमिस्ट्री, उनके कॉम्पोनेंट्स, मिट्टी की घेराबंदी, (जो मिट्टी में ज़रूरी गुणों को जोड़कर उसे और उपजाऊ बनाती है), मिट्टी के बहुत से प्रकारो के अलावा किसी एक प्रकार की मिट्टी के इस्तेमाल के फायदे, खेती में लगने वाले अलग-अलग तरीकों के इस्तेमाल , और इससे जुड़े दूसरे विषयों पर भी काम करते हैं| वह मिट्टी और मिट्टी से जुड़े डेटा की जाँच करने के योग्य होते हैं| और बहुत से डोमेन जैसे ब्रीडिंग, जेनेटिक्स, प्रोडक्शन, फ़सलों के मैनेजमेंट में भी शामिल होते हैं|

एग्रोनॉमिस्ट (Agronomist:

एग्रोनॉमिस्ट (Agronomist) पौधों, मिट्टी और पर्यावरण के बीच आपसी संबंध के बारे में अध्ययन और शोध करते हैं. साथ ही बेहतर उपज देनेवाली फसलों की प्रजातियों के विकास में अपना योगदान देते हैं. एग्रोनॉमिस्ट का काम नवाचारी कृषि तकनीकों और व्यवहारों का विकास करना है, जो न सिर्फ फसलों की गुणवत्ता और उनके उपज को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, बल्कि खर-पतवार, कीटाणुओं का नियंत्रण करते हैं और इस तरह से फसलों की रक्षा करते हुए पर्यावरण की भी रक्षा करते हैं.

सॉयल कंजरवेशनिस्ट :

एक सॉयल कंजरवेशनिस्ट वह वैज्ञानिक है, जो भूमि की स्थिति की निगरानी करता है. उसकी धारणीयता का विकास करने और मिट्टी को सुरक्षित रखने एवं मृदा अपरदन को रोकने के तरीके विकसित करता है.

प्लांट ब्रीडर :

प्लांट ब्रीडर बीजों के गुणों का अध्ययन करता है और उनमें सुधार लाने का काम करता है, ताकि सबसे ज्यादा उपज देनेवाली और गुणवत्ता पूर्ण फसल का विकास किया जा सके, जो पाले, सूखे, रोगों और कीटाणुओं के प्रति मजबूत प्रतिरोधक क्षमता रखते हों.

लैब रिसर्चर :

लैब रिसर्चर फसलों से संबंधित आंकड़ों का अध्ययन करके उनकी किस्मों में सुधार लाने के लिए काम करते हैं. उन्हें खेती के विभिन्न चरणों पर आनेवाली चुनौतियों का समाधान पेश करना होता है. इसके अलावा एग्रोनॉमी की डिग्री वाले विद्यार्थी बीज कंपनियों के डिस्ट्रिक्ट सेल्स मैनेजर, कृषि आधारित कंपनियों के लिए क्रॉप कंसल्टेंट्स के तौर पर भी काम कर सकते हैं.

 

Agronomist salary in India

एक एग्रोनॉमिस्ट (Agronomist) को एंट्री – लेवल की नौकरियों में: आप हर महीना ₹15,000.00 से ₹45, 000.00 तक या ज़्यादा कमाने की उम्मीद कर सकते हैं। 1 से 6 साल के अनुभव के बाद, आप हर महीने ₹20,000 से ₹60, 000 तक या उससे ज़्यादा कमा सकते हैं।

6 से 12 साल के अनुभव के बाद, आप हर महीने ₹30,000.00 से ₹1,50,000 तक या उससे ज़्यादा भी कमा सकते हैं। सीनियर लेवल की नौकरियों में, 13 सालों से ज़्यादा काम के अनुभव के साथ, आप हर महीने लगभग Rs. 80,000 से Rs. 2, 00,000 तक या इससे भी ज़्यादा कमा सकते हैं यह आपके पद और जिस कंपनी के साथ आप काम कर रहे हैं, उस पर निर्भर करता है।

Salary After Agronomy

लाइफ सइंसेज़ और बायो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विदेशों में अनुभवी एग्रोनॉमिस्ट की बहुत मांग है, खास कर के इस दौर में जहाँ आज हर कंपनी को प्रतियोगिता में आगे रहना है। 40 से 50 साल की उम्र में पीएचडी पूरी होने के बाद भी एनालिस्ट को ऑफिस से जुड़े काम के लिए भर्ती किया जा रहा है।

इस तरह की मार्केट रिसर्च पर आधारित नौकरियों में 2 से 5 सालों के काम के अनुभव के बाद आप हर महीने लगभग Rs.50,000 से Rs. 80,000 तक या इससे भी ज़्यादा कमा सकते हैं और 7 से 12 सालों का काम का अनुभव होने के बाद , आप हर महीने लगभग Rs.1, 50, 000 से Rs. 3, 00, 000 तक या इससे ज़्यादा कमा सकते हैं।

 

एग्रोनॉमी में करियर ग्रोथ

एंट्री – लेवल के पदों से आप सीनियर सॉइल साइंटिस्ट , रिसर्च लीड, प्रोजेक्ट सुपरवाइज़र, लीड साइंटिस्ट, प्राइमरी कॉम्पिटिटिव इंटेलिजेंस हैड , सेकेंडरी कॉम्पिटिटिव इंटेलिजेंस मैनेजर, मार्केट रिसर्च चीफ या इसी तरह के पदों तक पहुँच सकते हैं।

वही अगर आप शिक्षा से जुड़े क्षेत्र में काम कर रहे हैं तो आप एक फुल-टाइम प्रोफेसर बन सकते हैं और बाद में आप कई युनिवेर्सिटी या रिसर्च इंस्टीट्यूट में सीनियर लेक्चरर या हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट भी बन सकते हैं। आप अपने क्षेत्र या विषय में की गई रिसर्च पर किताबें भी लिख सकते हैं या अपने विषय से जुड़े विषयों पर कई लोकप्रिय टॉपिक या दूसरे किसी टॉपिक को लेकर अपनी दिलचस्पी के हिसाब से भी किताबें लिख सकते हैं।

 

 

 

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